ठेकेदार

ठेकेदारी एक व्यवसाय है  पम्परागत रूप से जिसका मतलब कुछ न कुछ निर्माण करने वाली संस्था या व्यक्ति या व्यक्ति समूह से है जो किसी कार्य को करने के लिए एक निश्चित प्रक्रिया के तहत अधिकृत किये जाते हैं जिसके बदले में वे पारिश्रमिक प्राप्त करते हैं 
वर्तमान समय में यह ठेकेदारी  स्वैच्छिक हो गयी है । अब इसमें लाभ का कोई ज्यादा सरोकार नही रह गया है बस अब यह शौक बन गया है
आप जिधर देखें आप को हर जगह स्वैच्छिक ठेकेदार मिल जायेंगे जिनमे प्रमुख है धर्म के ठेकेदार, वोटों के ठेकेदार, हिंदुओं के ठेकेदार ,मुस्लिमों के ठेकेदार इत्यादि पर इनमें जो सर्वोपरि हैं वे हैं खबरों के ठेकेदार ये कोई और नहीं टीवी पर आने वाले प्रतिष्ठित न्यूज़ चैनल ही हैं इन ठेकेदारों की तो बात ही निराली है ये चाहे जिसकी खबरों का ठेका ले लेते हैं  जैसे अभी अधिकतर चैनलों ने यूपी की नवेली सरकार की खबरों का ठेका ऐसा लिया हुआ है कि बस पूछिये मत दिन रात धूप ताप की चिंता किये बगैर खबर आप तक पहुंचाए जा रहे हैं  अब जब ठेका लिया है खुद से तो छुड़ाये कौन काम पूरा हो गया ये बताये कौन हद तो तब हो जाती है जब इन्ही खबरों के ठेके के ऊपर बहस का ठेका भी शुरू होता है शाम को प्राइम टाइम नामक क्लब में  ठेकेदारों के सभी रूप आपको यहाँ देखने को मिलते हैं अब ठेका खुद ने लिया माल भी खुद लगाना है गुणवत्ता की कोई चिंता नहीं है तो बस माल लगाये जाओ और ठेका ठेका गाये जाओ 
इन्हें पता है कि यूपी में मसाला अच्छा बनता है तो बिल्डिंग भी अच्छी बन जायेगी अब दूसरे राज्य जैसे मेघालय , मिजोरम, केरल, असम, अरुणा चल,सिक्किम
झारखण्ड  जहाँ मिट्टी के सिवा कुछ नहीं है वहां कौन जाये ठेकेदारी करने और जैसा कि आप जानते हैं कि खबरों की ठेकेदारी बिना मसाले के कतई न हो पायेगी तो ठेकेदारी का धंधा यूपी में ही फलेगा फूलेगा